ए मेरे मन
न जाने कहाँ
खो गया है
चैन सारा हर लिया है |
चैन सारा हर लिया है |
खैर मना कि मैंने
दर्ज न कराई
कोई शिकायत
तेरे खो जाने की
नहीं तो क्या हाल होता |
कैद से
निकल नहीं पाता
रोता चीखता
कितनी भी
मिन्नतें करता |
आभार मान सब का
किसी ने बंधक न बनाया
बहुत मुश्किल से
तेरा सुराग पाया |
हूँ आश्वस्त
कभी तो मिलेगा
मेरी खोज का
अंत होगा |
आभार मान सब का
किसी ने बंधक न बनाया
बहुत मुश्किल से
तेरा सुराग पाया |
हूँ आश्वस्त
कभी तो मिलेगा
मेरी खोज का
अंत होगा |
आशा
यही आश्वस्ति आगे बढ़ाने को प्रेरित करती है ....!!
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना ।
मन तो चंचल है ,उसे बांधना मुस्किल है
जवाब देंहटाएंखोज खबर लेते रहे ,कहाँ कहाँ जाता है |
बहुत सुन्दर !
नई पोस्ट आम आदमी !
नई पोस्ट लघु कथा
इस बार आप ही अपने इस चंचल मन को बंधक बना लीजियेगा कि खोजने की नौबत ही ना आये ! बहुत ही सुंदर रचना ! मज़ा आ गया !
जवाब देंहटाएंहूँ आश्वस्त
जवाब देंहटाएंकभी तो मिलेगा
मेरी खोज का
अंत होगा |
बस यही जज्बात आगे बढ़ाते है....
बहुत ही सुन्दर रचना....
:-)
शानदार,सुंदर अभिव्यक्ति ...!
जवाब देंहटाएंRECENT POST -: कुसुम-काय कामिनी दृगों में,
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (13-01-2014) को "लोहिड़ी की शुभकामनाएँ" (चर्चा मंच-1491) पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हर्षोल्लास के पर्व लोहड़ी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सूचना हेतु धन्यवाद सर |
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