सर्द हवाएं
है धवल चादर
ठिठुरी वादी |
दीदार तेरा
हरता मन मेरा
दीवाना हुआ |
ए मेरी सखी
तू सब भूल गयी
हुई बेगानी |
खिला कमल
झाँक रहा जल में
हो कर मुग्ध |
सुख क्षणिक
आभास नहीं होता
दुखी संसार |
दुःख बसा है
रग रग में तेरे
कैसे सुखी हो |
छटा कोहरा
नन्हीं बूँदें जल की
झरने लगीं |
सुख क्षणिक
आभास नहीं होता
दुखी संसार |
दुःख बसा है
रग रग में तेरे
कैसे सुखी हो |
छटा कोहरा
नन्हीं बूँदें जल की
झरने लगीं |
कुसुम पर
एक बूँद ओस की
रही थिरक |
आशा
कुसुम पर
जवाब देंहटाएंएक बूँद ओस की
रही थिरक |
bahut khub..............great!!!
सुन्दर चित्र और कमाल के हाइकू ... पूरक इक दूजे के ...
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना बुधवार 15/01/2014 को लिंक की जाएगी...............
जवाब देंहटाएंhttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in
आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
सूचना हेतु धन्यवाद |
हटाएंबहुत सुंदर चित्र और हायकू.
जवाब देंहटाएंमकर संक्रांति की शुभकामनाएं !!
बहुत ही सुंदर हाईकू एवँ हर हाईकू को और प्रभावशाली बनाते पूरक चित्र ! आनंद आ गया !
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसब एक पर एक. सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंसटीक प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीया--
बहुत सुन्दर हायकू....
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति भी..
सादर
अनु
जवाब देंहटाएंकल 16/01/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद !
सर्दी के इस मौसम के सुंदर फोटोग्राफ्स और अपनी खूबसूरत पंक्तियों के ज़रिये आपने तो जीवन का फलसफां ही समझा दिया साथ ही संसार की क्षणभंगुरता का भी ज्ञान करा दिया...बेहतरीन रचना।।।
जवाब देंहटाएंहाइकू के भाव से मेल खाती चित्र बहुत प्रभावी है !
जवाब देंहटाएंमकर संक्रान्ति की शुभकामनाएं !
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