चेहरा तेरा
दर्प से चमकता
सच्चे मोती सा |
२-
रिश्ता प्यार का
निभाना है कठिन
आज ही जाना |
३-
यूं न देखते
सोचते समझते
तुझे निभाते |
४-
किया अर्पण
पूरा जीवन तुझे
तूने न जाना |
५-
बूँद स्वेद की
कम नहीं अश्रु से
पीर झलकी |
६-
हुआ चयन
दो बूँद अश्क झरे
मूंदे नयन |
७
-तिल गुड़ से
बनते लड्डू मीठे
संक्रांति मने |
८
ईद आ गयी
शीर खुरमा पका
मिठास बड़ी |
दर्प से चमकता
सच्चे मोती सा |
२-
रिश्ता प्यार का
निभाना है कठिन
आज ही जाना |
३-
यूं न देखते
सोचते समझते
तुझे निभाते |
४-
किया अर्पण
पूरा जीवन तुझे
तूने न जाना |
५-
बूँद स्वेद की
कम नहीं अश्रु से
पीर झलकी |
६-
हुआ चयन
दो बूँद अश्क झरे
मूंदे नयन |
७
-तिल गुड़ से
बनते लड्डू मीठे
संक्रांति मने |
८
ईद आ गयी
शीर खुरमा पका
मिठास बड़ी |
सूचना हेतु आभार राजेन्द्र जी |
जवाब देंहटाएंसूचना हेतु धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ! जीवन के हर रंग की विविधता समेटे बहुत ही खूबसूरत हाईकू ! आनंद आ गया !
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंबधाई स्वीकारें आदरणीया-
bahut sundar....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर !बढ़िया प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हाइकु...
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