26 अगस्त, 2023

हाइकुु

 

१-कुछ कहना

सुनना नहीं अब

 यादें ही बाक़ी


२--तुम्हारे बिना

मन भटकता है

याद सताती


३ -कैसे भूलती

जिसे ना भूली कभी

पल भर को


४ -तन्मय रही

खोई रही यादों में 

व्यस्त ही रही  



25 अगस्त, 2023

कविता का रूप निराला


 कविता का रूप निराला 
किसी से मेल नहीं खाता 

जब भी बदलाव करना चाहो  

अनुभवोंं से व्यवधान आता |

मन ने जो सोचा वह रूप  नहीं दिखा 

रूप बदल सा गया चाँद सा ना रहा |

ना ही कोई और रूप विशेष रहा 

दूर से जो दिखता चाँद पर  

अब  तुलना के योग्य नहीं वैसा 

यह तो कभी सोचा ना था 

ना ही पनपी कोई संस्कृति धरती की तरह |

उबड़ खाबड़ सतह उसकी  जिस पर कोई सड़क नहीं 

जल नहीं अनाज नहीं सतह समतल उसकी नहीं  

बस  खुशी है आदमी के मन में 

उसी के विचारों को लिपिबद्ध किया कविता में |

मन के समुन्दर में गोता लगाकर 

अपने  भावों को दर्शाया  कविता में |

 भारत ने परचम फहराया चन्द्रमा की सतह पे |

आज है खुशी सर्वत्र सारे विश्व में 

भारत हुआ सफल अपने अभियान में 

भारत हुआ  अग्रणी  चार देशों  में से एक 

सारे अन्तरिक्ष विज्ञान जगत में |

यही भाव दिखाई दिए आज की कविता में 

इसी से फिर सोचा हमने

 कविता का रूप निराला बदला 

अपार प्रसन्नता  के लिए  |



आशा सक्सेना 


























24 अगस्त, 2023

अधूरा स्वप्न ना रहा

                                           अधूरा  स्वप्न  नहीं रहा, वह  पूरा हुआ 

मन की बेचैनी बढ़ती गई 

जब उड़ान चन्द्र यान -३ ने भरी

चाँद की धरती पर पहला कदम रखा |

आगे क्या हो, यह चित्रों में देखा 

बार-बार खुशी देखी, 

सब के चेहरों पर अनोखी देख चमक, 

खुशी हज़ारों वैज्ञानिकों के मुखमंडल पर 

जिसने भी यह सब देखा 

बधाई का क्रम जारी रहा |

आगे बढ़ने के लिए सारी कोशिश हुई सुुकारथ 

अब चन्द्र यान से रोवर चाँद  की सतह पर उतारा 

यही आशा आगे  और नई खोजों से होने लगी 

एक सफलता देख आगे के स्वप्न सजने लगे   |

अधूरा स्वप्न ना रहा 

पूरा होने का सही वक्त देख 

अन्तरिक्ष विज्ञान मिशन 

मेेहनत से पूरे किये जाएंगे |

आगे और मिशन पूरे होंगे जिन पर कार्य किया जाएगा 

वैज्ञानिकोंं की मेहनत रंग लाएगी

जय भारत जय इसरो की खुशी से सारा देश डूबा 

 देशवासियों की ख़ुशी का ठिकाना ना रहा |


आशा सक्सेना 





22 अगस्त, 2023

कलह का प्रभाव

 

कलह का प्रभाव जीवन पर 

कब हुआ वह समझ ना पाई 

कलह जीवन में कब आई

वह जान नहीं पाई |

अब सूना सूना घर लगता

सब ने उससे मुँँह फेर किया 

कारण भी नहीं बताया

यही उसके सोच का कारण बना

खुशियों ने मुँँह फेरा 

अब रही उदास जिन्दगी 

यही नहीं भाया उसको

नयनों में अश्रुओं का तालाब भरा

इसमें एक कलसा जल भी

और नहीं समा पाया

मन बेचैन हुआ |

और यह अब समझ आया

किसी पर अति विश्वास करे या नहीं

अपने पर भरोसा अवश्य रखें

या उसे भी दर किनारे करें   

किसी बहकावे में नहीं आएं|

अपने विवेक का सदुपयोग करें पर धैर्य से

दस बार सोचें तब ही कोई निर्णय लें

इसकी ही आवश्यकता है

सफलता को हासिल करने के लिए |



आशा सक्सेना  

20 अगस्त, 2023

हमारी बिल्ली कोजी का मानवीय कारण

 

पहले कभी सोचा ना था 

जानवरों हो भी समझ होती है 

हमने तो उसे खिलोना समझा था

दिन भर सोता था भूले से जगता था | 

रात में जागरण करता 

घर की रखवाली करता 

यदि कोई अजनबी आता

 उसके आसपास चक्कर लगाता |

यदि कुछ भी सामान को हाथ नया व्यक्ति लगाता 

वह  वहीं  बैठ कर अपनी पूँछ हिलाता 

जब तक कोई उस पर ध्यान ना देता 

वह वहीं डटा रहता अपना गुस्सा दिखाता |

रात को आठ बजे

 अपनी बहिन की राह देखता जैसे ही घंटी बजती 

वह  दर  पर जा बैठता 

उसकी राह देखता भोजन के लिए |

भोजन मिलते ही खेलने का मन बनाता 

दौड़ कर छिपता

 उसे खोजने को दौड़ना पड़ता |

आशा  सक्सेना 

जोर से आवाजें करना पड़तीं