कभी सोचा न था
इतनी ममता की हकदार हूं मैं
पार्क में एक अबोध बालक
मेरे बहुत पास आया
पहले मेरी साड़ी पकड़ी
फिर धीरे से उंगली थामी
मुझे ध्यान से देख रहा था
अपनी ओर खींच रहा था
मुझमे भी उत्सुकता जागी
पकड़ा हाथ साथ चल दी
वह डगमग डगमग चलता था
पर जैसे ही भय लगता
पकड़ उंगली की
और मजबूत करता था
मैं अनजाने मित्र के साथ
खिचती चली गई
गंतव्य तक जब पहुंची
कुत्ते के बच्चे खेल रहे थे
जैसे ही पिल्लों को देखा
ताली बजाई ,खुशी से उछला
जब पिल्लै ने पूँछ हिलाई
औरअधिक पास आया
भयभीत हुआ ,गोद में आया
पिल्लै भी कुछ कम न थे
पैरों पर पंजा मार रहे थे
वे भी खेलना चाहते थे
उसे छूना चाहते थे
जब मम्मी की आवाज सुनी
उतर गोद से मुस्काया
जाने को बेचैन हुआ
मम्मी की उंगली थामी
और साथ चल दिया
मैं अकेली खाली बेंच पर बैठी थी
सामने बृक्ष पर बैठी चिड़िया
चूजों को दाना खिला रही थी
इतने में एक कागा आया
आसपास उसके मंडराया
चिड़िया तेजी से उड़ उड़ कर
करने लगी उसे दूर
पर चिंता एक ही थी
कोई नुक्सान न हो बच्चों को
यह कैसा खेल प्रकृति का
कोई अंत नहीं ममता का |
आशा