जन सैलाब उमढ़ता
जाने किसे देखने को
लोगों को एकत्रित देख
राह चलते रुक जाते लोग
कुछ और लोग जुड़ जाते है
अक्सर वे यह भी न जानते
भीड़ का कारण क्या है
फिर भी बुत से बने हुए वे
वहीं खड़े रह जाते हैं
फिर सड़क छाप जमावड़े का
पूरा मजा उठाते लोग
जैसे ही पुलिस देखते हैं
तितर बितर भी हो जाते हैं
यदि कोई दुर्घटना हो
या दुःख का हो कोई अवसर
कुछ ही लोग मदद करते हैं
बाकी तमाशबीन होते हैं
अपने घर चल देते हैं
हर किस्से को बढा चढा कर
जब चटकारे ले कर सुनाते
वास्तविकता क्या थी
वे यह भी भूल जाते हैं |
आशा
कुछ ही लोग मदद करते हैं ,
जवाब देंहटाएंबाकी तमाशबीन होते हैं ,
अपने घर चल देते हैं ,
हर किस्से को बढा चढा कर ,
जब चटकारे ले कर सुनाते हैं ,
वास्तविकता क्या थी ,
वे यह भी भूल जाते हैं |
.yatharthpurn samvedansheel rachna ke liye aabhar
आस-पास की घटनाओं का
जवाब देंहटाएंशाब्दिक विवरण ...
सुन्दर काव्य . . . !
आपकी जागरूकता भी झलकती है
अभिवादन
बिलकुल सच्चाई दिखा दी आपने ! यही होता है वास्तविकता में ! हर घटना दुर्घटना का कारण जान सिर्फ अपना कौतुहल शांत करना और मनोरंजन कर लेना बस यहीं तक आज कल लोगों की भूमिका होती है, सहायता करने के नाम पर सब खिसकना चाहते हैं ! सुन्दर और प्रेरणाप्रद रचना !
जवाब देंहटाएंati sundar rachnaayen........
जवाब देंहटाएंचित्रगीत बहुत बढ़िया है!
जवाब देंहटाएंआपका यह शब्दचित्र अच्छा लगा ..
जवाब देंहटाएंरोचक शाब्दिक विवरण,
जवाब देंहटाएंआभार...