31 जुलाई, 2015

आइना

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है वह आइना तेरा 
हर छबि रहती कैद उसमें 
चहरे के उतार चढ़ाव 
बदलते रंग और भाव 
सभी होते दर्ज उसमें |
परिवर्तन चहरे पर होते 
सभी उसमें स्पष्ट दीखते 
है यही   विशेषता
बदलाव  अक्स में 
 किंचित भी न होता |
दिन के उजाले में 
एक एक लकीर दीखती 
सत्य की गवाही देती 
अन्धकार में सब छुप जाता 
कुछ भी न दिखाई देता |
आशा


चित्र

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28 जुलाई, 2015

नमन तुम्हें कलाम


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श्री ए. पी. जे .अब्दुल कलाम को शत शत नमन :-
ऊंची उड़ान
खुला आसमान
तुम्हें  सलाम |

एक स्वप्न सजाया तुमने
युवा शक्ति की आँखों में
जो कार्य भारत के लिए किया
सदा याद किया जाएगा
तुम्हारा नाम आते ही
गर्व से सर उन्नत होगा
दिया जो सन्देश तुमने
अमर तुम्हें कर जाएगा
शत शत नमन तुम्हें कलाम
हमें है अभिमान तुम पर
भारत माता के सपूत
विज्ञान की दुनिया में सदा
तुम्हें याद किया जाएगा |
आशा

27 जुलाई, 2015

कौन असली हकदार

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चहरे पर देख अभाव
आँखें रीती भाव विहीन
छेड़ गईं मन के तार
उदासी का कोई हल तो निकाल | 
कंचन काया मृतप्राय सी 
आया देन्य  भाव चहरे पर 
दीनता की अभिव्यक्ति 
मन में  चुभती  शूल सी |
दिल ने कहा सहायता कर 
पर दिमाग ने झझकोरा
 सोचना दूभर हुआ 
कहीं यह दिखावा तो नहीं ?
उलझन बढ़ने लगी 
करवटें बदलने लगी
क्या सच में है आवश्यक 
उसकी सहायता करना |
हो रहा है कठिन 
सत्य तक पहुँच पाना 
है यह आवश्यकता उसकी 
या तरकीब संवेदना पाने  की |
किसे सच्चा हकदार समझुँ
उपयुक्त समझूं सहायतार्थ 
जज्बातों  में बह कर
 यूँ ही  न  ठगी जाऊं |
जब भी भावुकता जागी 
बेरहमीं से ठगी गई 
अब विश्वास नहीं होता 
है कौन असली  हकदार
या कोई ठग  दरिद्र के भेष में |
आशा