चहरे पर देख अभाव
आँखें रीती भाव विहीन
छेड़ गईं मन के तार
उदासी का कोई हल तो निकाल |
कंचन काया मृतप्राय सी
आया देन्य भाव चहरे पर
दीनता की अभिव्यक्ति
मन में चुभती शूल सी |
दिल ने कहा सहायता कर
पर दिमाग ने झझकोरा
सोचना दूभर हुआ
कहीं यह दिखावा तो नहीं ?
उलझन बढ़ने लगी
करवटें बदलने लगी
क्या सच में है आवश्यक
उसकी सहायता करना |
हो रहा है कठिन
सत्य तक पहुँच पाना
है यह आवश्यकता उसकी
या तरकीब संवेदना पाने की |
किसे सच्चा हकदार समझुँ
उपयुक्त समझूं सहायतार्थ
जज्बातों में बह कर
यूँ ही न ठगी जाऊं |
जब भी भावुकता जागी
बेरहमीं से ठगी गई
अब विश्वास नहीं होता
है कौन असली हकदार
या कोई ठग दरिद्र के भेष में |
आशा
आँखें रीती भाव विहीन
छेड़ गईं मन के तार
उदासी का कोई हल तो निकाल |
कंचन काया मृतप्राय सी
आया देन्य भाव चहरे पर
दीनता की अभिव्यक्ति
मन में चुभती शूल सी |
दिल ने कहा सहायता कर
पर दिमाग ने झझकोरा
सोचना दूभर हुआ
कहीं यह दिखावा तो नहीं ?
उलझन बढ़ने लगी
करवटें बदलने लगी
क्या सच में है आवश्यक
उसकी सहायता करना |
हो रहा है कठिन
सत्य तक पहुँच पाना
है यह आवश्यकता उसकी
या तरकीब संवेदना पाने की |
किसे सच्चा हकदार समझुँ
उपयुक्त समझूं सहायतार्थ
जज्बातों में बह कर
यूँ ही न ठगी जाऊं |
जब भी भावुकता जागी
बेरहमीं से ठगी गई
अब विश्वास नहीं होता
है कौन असली हकदार
या कोई ठग दरिद्र के भेष में |
आशा
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