गांधी जी के तीन बन्दर
देते सीख बुरा मत देखो
बुरा मत सुनो ,बुरा मत बोलो
सब लेते सीख अपने हिसाब से
दीखती यह सरकार भी उन जैसी
होता रहता अत्याचार, अनाचार
पर आँखें बंद किये है
कुछ देखती नहीं |
कोई कुछ भी करता रहे
खोले शिकायतों के पुलिंदे
पर वह क्या प्रतिक्रया दे
कानों पर हाथ रखे है
कुछ सुन नहीं सकती |
यदि कुछ देखे सुने
अनजान बनी रहती है
कुछ बोलती नहीं
मुंह पर हाथ रखे है
मौन व्रत लिए है |
रही असफल हर अहम् मुद्दे पर
जुम्मेदार देश की बदहाली के लिए
जो सीख बंदरों से ली
उसका प्रतिफल है यह |
आशा