तितली रानी बड़ी
सयानी
फूल फूल पर
मंडराती
मकरंद सारा चट
कर जाती
फिर ही कहती
प्यास नहीं बुझी
मैं तो प्यासी ही
रही |
पांसा फेकती सुन्दर पंखों का
गुलाब को दुलराती
बहुत प्यार करती है उसको
बारम्बार उसे जताती |
वह उसे समझ नहीं पाता
साथ पा बहुत खुश होता
है कितनी मतलबी
जान नहीं पाता |
पर वह तो है बहुत चतुर
जैसे ही क्षुधा शांत होती
मन भर जाता
उड़ती दूसरा पुष्प तलाशती |
फूल बिचारा सीधा साधा
उसको पहचान नहीं पाता
अपना मित्र जान कर
बार बार गले लगाता |
आशा
पांसा फेकती सुन्दर पंखों का
गुलाब को दुलराती
बहुत प्यार करती है उसको
बारम्बार उसे जताती |
वह उसे समझ नहीं पाता
साथ पा बहुत खुश होता
है कितनी मतलबी
जान नहीं पाता |
पर वह तो है बहुत चतुर
जैसे ही क्षुधा शांत होती
मन भर जाता
उड़ती दूसरा पुष्प तलाशती |
फूल बिचारा सीधा साधा
उसको पहचान नहीं पाता
अपना मित्र जान कर
बार बार गले लगाता |
आशा
umda panktiya
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता....
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद सर |
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (11-12-13) को अड़ियल टट्टू आपका, अड़ा-खड़ा मझधार-चर्चा मंच 1458 में "मयंक का कोना" पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सूचना हेतु आभार
हटाएंबहुत सुंदर रचना ! बढ़िया !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना
हटाएंबढ़िया बाल रचना-
जवाब देंहटाएंआभार दीदी-
धन्यवाद रविकर जी |
हटाएंसुन्दर मनोहर रचना। मतलबी तितली।
जवाब देंहटाएंयह रचना अच्छी लगी जान कर प्रसन्नता हुई |
हटाएंबहुत ही सुंदर शब्दों से अलंकृत आपकी कविता , आदरणीय धन्यवाद
जवाब देंहटाएंनया प्रकाशन -: जानिये कैसे करें फेसबुक व जीमेल रिमोट लॉग आउट
धन्यवाद आशीष भाई |
हटाएंसुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएं:-)
धन्यवाद जी
हटाएंvery nice poem.
जवाब देंहटाएंVinnie
टिप्पणी हेतु धन्यवाद |
हटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद
जवाब देंहटाएंमनभावन रचना ,बढियाँ
जवाब देंहटाएंधन्यवाद भारती जी |
हटाएंखुबसूरत रचना...
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद |
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