03 नवंबर, 2018

हमराज






                                                             किसीने कहा है कठिन राह 
छोड़ दे साथ
 पर मन नहीं मानता
यदि तुम्हारी मर्जी हो
सब कुछ छोड़ देंगे हम
पर एक ही रास्ता है ऐसा
जिसे न मोड़ पाए हम |
हमराज रहे मेरे
इन हसीन वादियों में
जब से कदम रखा
इस प्यार की दुनिया में
दिन रात खोए रहते हम
नहीं बहके कभी कदम
ना ही कभी डगमगाए
बादा जो किया तुमसे
उसे पूरा करेंगे हम |
छोड़ते तो कायर है
मगर हम न छोड़ेगे साथ
कदम से कदम मिला कर चलेंगे
रहेंगे सदा हमराज |
आशा

01 नवंबर, 2018

नारी बेचारी





थी एक अवला
शोषण का शिकार
रोज की हाथापाई
कर गई सीमा पार
नौवत बद से बत्तर हुई
एक दिन दोनो हाथ
गले तक जा पहुंचे
न जाने कहाँ छुपे
ठहर गए आंसू आँखों में
इतनी क्षमता आई
बगावत करने को
हुई बाध्य वह
अब सहन न कर पाएगी
हिंसा और अत्याचार
है आज की नारी
नहीं अब बेचारी |
आशा

31 अक्टूबर, 2018

बदलता मौसम





बदलता मौसम
 करता आगाज
देता दस्तक घर के
दरवाजे पर |
चहु  ओर फैली हरियाली
नील गगन तले
घर की  कल्पना
 हुई साकार
जब मिला रहने को
हरी भरी वादी में|
जहां तक नजर जाती
मन दृश्यों को समेट लेता
अपनी बाहों में 
 कहीं हाथों से
 फिसल न जाएं  वे पल
वहीं ठहर जाते तो
 कितना अच्छा होता |
वृक्षों पर नव पल्लव आए 
उनसे छू कर आती बयार
जब भी देती दस्तक
भर देती सिहरन तन मन में
भिगो जाती सहला जाती मेरे वजूद को
जितना प्रसन्न मन होता
ठहरना चाहता वहीं |
 थी जो कल्पना मेरी घर की
अब हो गई  साकार
मैंने किया नमन  प्रभू को |
आशा