16 नवंबर, 2019

शौल ख्यालों का


                 ख्यालों को बुन कर शब्दों में
एक दुशाला बनाया है मैंने
बड़ें जतन से उसे मन के
 बक्से में सहेजा  मैंने |
जब भी दिल चाहता ओढ़ने का उसे
बहुत प्यार से निकालती हूँ
कुछ काल तक पहन कर
तह करके रखती हूँ मैं |
यह भी चिंता रहती है
 कहीं कट पिट  ना  जाए
कहीं रंग ना खो जाए विवर्ण  ना हो जाए 
फिर से उसे नया रंग दिलवा कर
जब भी घारण करती हूँ
उनमें  दुगनी चमक आ  जाती है
                 नए ख़याल शामिल हो जाते हैं |
                           आशा 


14 नवंबर, 2019

अपनी क्षमता जान

                                                              बाल दिवस के अवसर पर -
                                                               काम   बड़ा न  छोटा कोई
 काम तो बस काम है 
 काम को ऐसे न टालो
जीवन में  इसे उतारलो
है यह प्रमुख अंग  जीवन का
  जिसके बिना 
वह रह जाता अधूरा 
  एक विकलांग प्राणी सा 
मानव जीवन 
कार्य से ही पूर्ण होता
  व्यस्त सदा बना रहता
कार्य यदि उपयोगी होता
जीवन सफल हो पाता
उससे मिली प्रशंसा से 
वह पूर्णता को प्राप्त होता 
और  सकारथ हो पाता |
आशा

 

13 नवंबर, 2019

आहट तेरे आने की



द्वार पर तेरी  आहट को
 पहचानती हूँ मै
तुझे अपना मान
मेने भूल नहीं की है |
खोई रहती हूँ
 तेरी यादों  की दुनिया में
तुझे पा कर  मैंने
 कोई  गलती नहीं की है|
है नन्हीं सी जान  
 अदाओं  की  टोकरी  
तेरे हर कदम की आहट
पहचानती हूँ मैं |
पल भर दूर रह नहीं सकती
तेरी निगाहों का  आकर्षण
 है ही  ऐसा कि उनमें
 खोए रहने को रहती हूँ  बेकल |
हर हरकत  तेरी
पहचान गई  हूँ मैं
तेरी  चंचल  अदाओं पर न्योछावर
 तुझे ठीक से जान गई हूँ मैं | 

आशा

10 नवंबर, 2019

कभी सोचा नहीं


 

मैंने कभी सोचा नहीं
खुद के बारे में
समय ही नहीं मिला
सब का कार्य करने में |
जिन्दगी हुई बोझ अब तो
चन्द घड़ियाँ रही शेष
अकर्मण्य हुई अब तो
अब सोचना है व्यर्थ |
अब जीती हूँ
पुरानी यादे सहेजे
अभी भी खाली नहीं हूँ |
सोचकर देखा है बहुत
पर कोई फर्क नहीं पड़ता
किसी को जताने में
कि मेरा समय ही
मेरी उपलब्धि है |
आशा