द्वार पर तेरी आहट को
पहचानती हूँ मै
तुझे अपना मान
मेने भूल नहीं की है |
खोई रहती हूँ
तेरी यादों की दुनिया में
तुझे पा कर मैंने
कोई गलती नहीं की है|
है नन्हीं सी जान
अदाओं की टोकरी
तेरे हर कदम की आहट
पहचानती हूँ मैं |
पल भर दूर रह नहीं सकती
तेरी निगाहों का आकर्षण
है ही ऐसा कि उनमें
खोए रहने को रहती हूँ बेकल |
हर हरकत तेरी
पहचान गई हूँ मैं
तेरी चंचल अदाओं पर न्योछावर
तुझे ठीक से जान गई हूँ मैं |
आशा
आशा
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंसूचना हेतु आभार सर |
वाह ! वात्सल्य भाव से सिक्त मनमोहक रचना !
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 18 नवंबर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंगहरे मातृत्व प्रेम को अभिव्यक्त करती रचना।
जवाब देंहटाएंकोमल अहसास
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अनुराधा जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंवाह बेहतरीन
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सुजाता जी टिप्पणी के लिए |
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