एक गुरू ऐसा चाहिए
कुछ सीखने के लिए
बिना ज्ञान मुक्ति नहीं होती
कहा हमारे बुजुर्गों ने |
पर गुरु कैसा हो
कितना गहराई में हो ज्ञान की
खोजना सरल नहीं
जिनने पाया सद्गुरू भाग्य के हैं धनी वही |
आज यही खोज होती कठिन
जाने कितने लोग लगाए बैठे हैं मुखौटा
अपने चहरे पर गुरू का
नाम डुबो रहे गुरू की महिमा का |
सब कुछ मिल जाता है
पर सच्चा गुरू नहीं मिलता सरलता से
जो मिलते हैं वे सद्गुरु नहीं
अधिकाँश हैं छलावा आज के परिवेश में |
अन्धविश्वासी न हो कर
गुरूदीक्षा लीजिए
गहन मनन कर के
खूब जान परख कर |
नमन उन सब गुरुओं को
जो सच्चाई का दामन थामें
उचित मार्ग दर्शन करते
देते हैं सही शिक्षा |
आशा
Thanks for the comment sir
जवाब देंहटाएंयही तो असमंजस है ! आज के युग में सभी अपनी दूकान खोले बैठे हैं इनमें सच्चा गुरू कौन है जानना मुश्किल है ! छलावा देकर ये गुरूघंटाल सबको मूर्ख भी खूब बनाते हैं ! सच्चे गुरू को खोजने की योग्यता स्वयं में पैदा करनी पड़ेगी !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |