राज वही अंदाज वही
अल्फाज़ नहीं बयां करने को
मन मचल रहा सच कहने को
कैसे संवरण करूं प्रलोभान को
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मन चाहा चटपट पाया
यही रहा सौभाग्य हमारा
जिसने की लालसा अधिक की
सब व्यर्थ हुआ ले न पाया
मन मसोस कर रह गया |
जब दिल के टुकडे हुए हजार
हर व्यक्ति ने पाना चाहा
भाग्यवान वही रहा
जिसने पाई न झलक उसकी |
वाह ! सार्थक सन्देश देते सुन्दर मुक्तक !
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