22 जुलाई, 2021

मुक्तक


 

राज वही अंदाज वही

अल्फाज़ नहीं बयां करने को

मन मचल रहा सच कहने को

कैसे संवरण करूं प्रलोभान को

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मन चाहा चटपट पाया

 यही रहा सौभाग्य हमारा

जिसने की लालसा अधिक की

सब व्यर्थ हुआ ले न पाया

मन मसोस कर रह गया |

 

जब दिल के टुकडे हुए हजार

हर व्यक्ति ने पाना चाहा

भाग्यवान वही रहा

जिसने पाई न झलक उसकी |

 

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