22 जुलाई, 2021

गोरी गाँव की

 


श्यामल तन

 मुखरित आनन 

यही जीवन है

गोरी  गाँव  की

चलती ठुमके से   

जल भरने

राह में घिर आए

कजरारे से

बादल बरसते

बह घिरी वर्षा से

बरसा मेह

तरबतर किया

नहला दिया

उसको  व धरा को 

सध्यस्नाना   

खिली गुलाब जेसी 

मन को  भाई  

ललाट पर भीगी 

हवा के संग 

 लहराती काकुल 

मुखड़े पर 

चाद सा आकर्षण 

ले कर  आई  |

आशा 


 



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