पहली बार देखा
आकृष्ट हुआ
जब भी देखा उसे
किये इशारे
चिलमन की ओट
देखी झलक
छू न पाया उसको
तब भी मेरे
मन में फूल खिले
एहसास हुआ
मोहक सरूप का
भा गईऎसी
दिल में समा गई
मजबूती से
थाम लिया दामन
कहीं छूटे ना
अनोखा एहसास
जागा विश्वास
नए रिश्ते का भान
मन में जागा
छूने का मन हुआ
प्यार से उसे
भर लिया बाहों में
बंधन बांधा
मोहर समाज ने
लगाई जब
भय न रहा उसे
किसी ने टोका नहीं
बढ़ा साहस
अवगुंठन हटा
देखा उसको
अन्तस् में बसाया
प्यार जताया |
आशा
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बहुत सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sir
हटाएंबहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sir
हटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 22-07-2021को चर्चा – 4,133 में दिया गया है।
जवाब देंहटाएंआपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
धन्यवाद सहित
दिलबागसिंह विर्क
Thanks for the information of the p o st
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंवाह वाह ! श्रृंगार रस में डूबी सुन्दर प्रस्तुति ! बहुत बढ़िया !
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