कई खट्टी मीठी यादें
दिल पर दस्तक देतीं
जब अधिकता उनकी होती
कुछ भुला दी जातीं
बहुत सी याद रह जातीं|
स्मृति पटल पर उकेरी जातीं
जीवन की सच्चाई
छिपी होती उन में
लोग दिखावे की जिन्दगी जीते
घर बाहर दोहरा मापदंड रखते
बाहर हंसते खिलखिलाते
घर में सदा रोते रहते
या झल्लाते नाराज बने रहते |
स्मृतियाँ उन्हें उलझाए रखतीं
बार बार दस्तक देतीं
दिमाग के दरवाजे पर
कहीं वह भूल न जाए उन्हें |
वैसे तो एक शगल सा हो गया है
बीती बातों को बारम्बार याद करना
उन्हें विस्मृत न होने देना स्मृतिपटल से
दिमाग को व्यस्त रखने के लिए
यह तरीका भी काफी है
स्मृतियों में जीने में खोए रहने में
जो सुख मिलता है और कहाँ |
आशा
स्मृतियों में जीने में खोए रहने में
जवाब देंहटाएंजो सुख मिलता है और कहाँ |
वाह!
सत्य वचन
धन्यवाद सधु जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 18
जवाब देंहटाएंनवंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
मेरी रचना की सूचना के लिए धन्यवाद दिव्या जी |
हटाएंसुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद शांतनु जी |
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 19 नवंबर 2020 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसूचना हेतु आभार रवीन्द्र जी |
हटाएंसादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 20-11-2020) को "चलना हमारा काम है" (चर्चा अंक- 3891 ) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।
…
"मीना भारद्वाज"
सूचना हेतु आभार मीना जी |
हटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंबहुत ही सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंस्मृतियाँ जीवन की कडवाहट को धो पोंछ कर भुला देने में बड़ी सहायक होती हैं ! सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
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स्मृतियों पर बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
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