शिकवा शिकायत किस लिए
झूलते झूलते
गिर कर उठना
उठ कर सम्हलना
नहीं है सरल सुलभ
यही अहसास हुआ
इतनी सी बात
जो नहीं जानते
खुद को नहीं पहचानते |
सत्य से दूर भागते
सोचो समझो
परखो खुद को
जिसने समझ लिया
वही आगे बढ़ पाया
जलने वाले रहे जलते
हंसने वाले हंसते रहे
दूसरों के सभी कार्य
उनको खलते रहे
गिला शिकवा किस लिए
किसके लिए |
आशा
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