रिमझिम वर्षा की फुहार
अंखियों से बहती अश्रुधार
देखती विरहणी राह
प्रिय के आगमन की |
वे नहीं आए
नदी नाले पूर आए
कैसे मन सम्हल पाए
बार बार बहका जाए |
बादलों का गर्जन
करता विचलित उसे
दामिनी दमके
चुनरी हवा में उड़ी जाए |
गहन उदासी छाए
धीरज छूटा जाए
पर ना हुई आहट
प्रीतम के आगमन की |
द्वारे पर टकटकी लगाए
वह सोचती शायद
मन मीत आ जाए
इन्तजार व्यर्थ ना जाए |
आशा
Man meet ka intezaar...
जवाब देंहटाएंkarti aankhein hazaar
barsata hai man ban kar sawan....
tarasta hai man paane ko fuhaar...
विरहणी के विरह को शब्दों में ढाल दिया है ... सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंवर्षा ऋतु और विरह का सुंदर वर्णन.
जवाब देंहटाएंbahut sunder bhaw.....
जवाब देंहटाएंविरह पर बेहतरीन रचना.
जवाब देंहटाएंsunder bhav ...
जवाब देंहटाएंबारिस और विरह,
जवाब देंहटाएंवाह,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
विरह व्यथा के वेग और बारिश के वेग का बहुत सुन्दर चित्रण किया है ! मन को छूती भावभीनी रचना ! बधाई एवं शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंसावन में सटीक रचना!
जवाब देंहटाएंbahut hi achhi rachna
जवाब देंहटाएंkanhi neh barsaata saavan kanhi ashru bahata saavan.virah ka achcha chitr banaya hai.Asha ji.
जवाब देंहटाएंबारिश...... विरह
जवाब देंहटाएंदोनों का सुंदर प्रस्तुतिकरण।
शुभकामनाएं आपको......
सावन में सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंbeautiful as always..
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंवाह जी बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंसुंदर ||
जवाब देंहटाएंबधाई ||
धीरज छूटा जाए
जवाब देंहटाएंपर ना हुई आहट
प्रीतम के आगमन की |
द्वारे पर टकटकी लगाए
वह सोचती शायद
मन मीत आ जाए
इन्तजार व्यर्थ ना जाए.....
आदरणीय ,आशा जी सप्रेम अभिवादन ...
बहुत सुन्दर ....प्रसंसनीय प्रस्तुति ! हार्दिक बधाई
बेहद मनमोहक लगी विरह की भावना से ओत-प्रोत.... सही में यह इंतज़ार कभी व्यर्थ न जाए...
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