हमारे ग्राम में एक छोटा
सरोवर
है जल से लबालव
कभी जल सूखता नहीं उसका
वर्ष भर जल की कमी न होय
वहां पर|
रोज जल भरने आतीं गांव की
गोरी
हँसी खुशी से भर जातीं पूरी
वादी
वहां पर एक पवन का झोका आता
साथ अपने ले जाता लहरें वहां की
मन को उद्द्वेलित कर जाता
दृश्य बड़ा मनोरम होता वहां जाने का मनोरथ |
आशा सक्सेना
सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
हटाएं
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 26 अक्टूबर 2022 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
>>>>>>><<<<<<<
पुन: भेंट होगी..
Thanks for the information
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा गुरुवार 27 अक्टूबर 2022 को 'अपनी रक्षा का बहन, माँग रही उपहार' (चर्चा अंक 4593) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 2:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
आभार आपका मेरी रचना को आज के अंक में स्थान देने के लिए |
जवाब देंहटाएंमनोरम ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएं