24 अक्टूबर, 2022

दीवाली पूजन है आज



 आज सब को शुभ कामनाए  हैं 

जाना है जाओ पर

कब आओगे बता जाना

वरना वह बाट जोहेगी

उसके मन को ठेस लगेगी |

यदि समय न हो पहले से बताना

वह इंतज़ार नहीं करे

अपना समय व्यर्थ न गवाए

न ही झूटी तसल्ली दे मन को |

वैसे तो साल भर का त्यौहार है 

उसे तो आस रहेगी तुम्हारे आने की

 यदि कारण बता कर जाओगे 

उसके मन को अवसाद न होगा  

  सोचेगी जब आवश्यक कार्य

 जो तुमने चुना है  होगा समाप्त

तुम कोशिश करोगे वहां पहुंचोगे   |

तुम्हारी  झलक देखते  ही

 उसका  मन खिल उठेगा गुलाब सा 

उसका अवसाद जाने कहाँ  गुम हो जाएगा

मन मयूर सा थिरकने लगेगा |

यही तो वह चाहती है

दौनों मिल कर स्वागत करेंगे 

देवी लक्ष्मी धन की  देवी  का 

दीप जला कर और प्रसाद दे कर |

 इन्तजार जो किया पूरे मन से सफल होगा 

जब देवी प्रसन्न होंगी

 वरदान देंगी उसके सच्चे मन की चाह को 

उसका घर भर देगी धन धान्य से 

सच्ची  ममता के द्वार  से |  

 

आशा सक्सेना

 

 

 

1 टिप्पणी:

  1. बीच में कुछ पक्तियां रिपीट हो गयी हैं उन्हें हटा दीजिये ! सुन्दर रचना !

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