तरस गईं
तेरी एक झलक
पाने को
दरवाजा तक
खुल गया है
वीराने में
बहार आजाने को
अब देर क्या है
होगा तुझे ही पता
क्या रखा है
इसा तरह
उसको तरसाने में
एहसास प्यार का
ले आया उसे
तुझ तक
जब तुझसे
दूरी हुई
जिन्दगी सराबोर हुई
तेरी यादों में
सिमट कर
उनमें ही
डूबी रहती है
बाक़ी सब को
भूल गई
यह अन्याय नही
तो और क्या है
तुझसे दूरिया उसकी
सजा नहीं तो क्या है
प्यार में कटुता
कहाँ से आई है
हम ठहरे गैर
नहीं जानते
आखिर क्या
चल रहा है
दौनों में
हम से यदि
सांझा किया होता
शायद कुछ
सहज हो पाते
तनाव से होते दूर
अपना प्यार बाँट पाते |
आशा
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