19 जनवरी, 2017

तनाव




निगाहें उसकी
तरस गईं
तेरी एक झलक
 पाने को
दरवाजा तक
खुल गया है
वीराने में
बहार आजाने को
अब देर क्या है
होगा तुझे ही पता
क्या रखा है
इसा तरह
उसको तरसाने में
एहसास प्यार का
ले आया उसे
तुझ तक
जब तुझसे
दूरी हुई
जिन्दगी सराबोर हुई
तेरी यादों में
सिमट कर
उनमें ही
डूबी रहती है
बाक़ी सब को
भूल गई
यह अन्याय नही
तो और क्या है 
तुझसे दूरिया उसकी 
सजा नहीं तो क्या है 
प्यार में कटुता
 कहाँ से आई है
हम ठहरे गैर 
नहीं जानते 
आखिर क्या
 चल रहा है 
दौनों में 
हम से यदि 
सांझा किया होता 
शायद कुछ
सहज हो पाते 
तनाव से होते दूर 
अपना प्यार बाँट पाते |
आशा





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