व्यस्तता इतनी कि
सर उठाने की फुरसत नहीं
पर कभी बेचैनी मन की
रुक नहीं पाती
रुक नहीं पाती
वह चाहती है
शान्ति की तलाश
शान्ति की तलाश
शाम की बेला में
कहीं विचरण करना
कहीं विचरण करना
शाम कोई फिर सुहानी चाहिए
हरियाली मखमली बिछी हो
रंग बसंती दे दिखाई दूर तक
बयार वासंती चुहल करे फूलों से
उसमें बसे फूलों की महक
बयार वासंती चुहल करे फूलों से
उसमें बसे फूलों की महक
पक्षियों की मधुर चहचहाहट
और हो
एहसास
पुरसुकून जिन्दगी का
पुरसुकून जिन्दगी का
जागृत हो भावों का मेला
न हो तन्हाई का झमेला
चारों ओर हों खुशरंग चहरे
कलम और कॉपी लिये
और हों लालायित
कुछ नया लिखने के लिये
शाम कुछ ऐसी ही
सुहानी होना चाहिए
संध्या हो रूमानी सुहानी
और जीवंत मुखर
बस है मन की आकांक्षा यही
शाम कोई ऐसी ही होना चाहिए |
आशा
वाह ! बड़ी रूमानी सी चाहत है ! ऐसी प्यारी सुहानी शाम मिल जाए तो क्यों न हों सपने साकार ! सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना जी |
जवाब देंहटाएंचारों ओर हों खुशरंग चहरे
जवाब देंहटाएंकलम और कॉपी लिये
और हों लालायित
कुछ नया लिखने के लिये ...,
बेहद खूबसूरत भाव लिए खूबसूरत वासन्ती रचना !
सुंदर अभिव्यक्ति
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