है नजर अपनी अपनी
जैसा सोचते है वही दिखाई देता है
जो देखना चाहते हैं अपने नजरिये
से
करते
हैं टिप्पणी अपने ही अंदाज में
कभी सोच कर देखना
एक ही इवारत पर
अलग अलग टिप्पणीं होती हैं कैसे ?
यही तो फर्क है लोगों के नजरिये में
कारण जो भी रहता हो
पर है सत्य यही
जिसे दस बार देख कर
कोई
पसंद नहीं आता
एक ही नजर में वही
अपना सुख चैन गंवा देता है
कुछ लोग ऐसे होते हैं
जो
होते निश्प्रह
ठोस धरातल पर रहते हैं
उन पर अधिक प्रभाव
नहीं
जो भी जैसा सोचता
वही
उसे नजर आता
यह तो है प्रभाव अपनी सोच का
आज के सन्दर्भ में बदले सोच का
अक्स स्पष्ट नजर आता है
कहीं कोई चित्र न बदलता
पर
बदलाव नजर आता है
एक ही लड़की किसी को
दिखाई देती जन्नत की हूर
किसी और को वही बेनूर नजर आती
है अलग
अंदाज अपनी सोच का
नजर नजर का फेर है
कोई कह नहीं सकता
किसका है कैसा नजरिया
कोई सोच नहीं पाता
है
क्या पैमाना नजर की खोज का |
आशा
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 7 फरवरी 2019 को प्रकाशनार्थ 1301 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
सुप्रभात |सूचना हेतु आभार सर |
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल गुरुवार (07-01-2019) को "प्रणय सप्ताह का आरम्भ" (चर्चा अंक-3240) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
पाश्चात्य प्रणय सप्ताह की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल गुरुवार (07-02-2019) को "प्रणय सप्ताह का आरम्भ" (चर्चा अंक-3240) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
पाश्चात्य प्रणय सप्ताह की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
सुप्रभात |सूचना हेतु आभार सर |
जवाब देंहटाएंसच कहा आशा दी कि सब कुछ इंसान की सोच पर उसकी नजर पर ही निर्भर हैं। बहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात |धन्यवाद ज्योति जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंबहुत खूब ! बहुत ही सार्थक सृजन !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
हटाएंबहुत सुंदर रचना ,सच सारा खेल तो नज़रो का ही है ,सादर नमन आप को
जवाब देंहटाएंधन्यवाद कामिनी जी |
हटाएंआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन शब्दों के भीतर छिपे विभिन्न सत्य : ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
जवाब देंहटाएंसूचना हेतु आभार सर |
हटाएंबहुत ही सुन्दर...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सुधा जी |
हटाएंबहुत खूब.....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सृजन आदरणीया
धन्यवाद रवीन्द्र जी टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
११ फरवरी २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सूचना हेतु आभार स्वेता जी |
हटाएंबहुत ख़ूब आदरणीया
जवाब देंहटाएंसादर
धन्यवाद अनिता जी टिप्पणी के लिए |
हटाएं