केवल सजदे करने से
 कुछ भी हांसिल नहीं होता 
सजदे होते सहायक
 कार्य को सफल बनाने में 
जो पूरी शिद्दत से किया जाए 
जरा सी भी  कमीं उसे
 पूर्ण नहीं होने देती 
कुछ तो यत्न करने होंगे 
उसे  
सफल बनाने के लिए  
केवल सजदे तो कम करो
केवल सजदे तो कम करो
पर बुद्धि एकाग्र करो 
सफलता तुम्हारे कदम चूमेगी 
कामयाबी सर आँखों पर रखेगी 
प्रयत्न सफल नहीं होते 
केवल प्रभू में खो जाने से 
बार बार सजदे करने से 
वे होते हैं सहायक तभी 
जब प्रयत्न किये जाते
 पूरी एकाग्रता से 
धनुर्धर अर्जुन के निशाने की तरह 
 सच्ची आस्था ईश्वर पर रख कर |
आशा 

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (18-09-2019) को "मोदी स्वयं सुबूत" (चर्चा अंक- 3462) पर भी होगी। --
जवाब देंहटाएंसूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुप्रभात
हटाएंसूचना हेतु आभार सर |
सत्य कथन ! सजदे के साथ श्रम की भी ज़रूरत होती ही है ! विनय और हुनर दोनों साथ होते हैं तभी कमाल हो पाते हैं !
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
२३ सितंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत खूब....,सत्य कहा सादर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...।
जवाब देंहटाएं