कहाँ जाए किस से करें शिकायत
अपना कोई नहीं जिसको अपना
कहना चाहा
वह गैरों से भी अलग लगा
दिखावा ही दिखावा देखा उसके व्यवहार में |
जिसने अपना अधिकार जताया
जानने का रिशता किसी के साथ बताया
दाल में काला नजर आया |
फिर मन न हुआ उसे अपनाने का
जब मां ने कहा यह है खून का
रिश्ता
तभी अपनाने का मन बनाया
फिर भी पहले जाना परखा तभी
अपनाया |
जब भी उसका व्यवहार देखा
मन में संतुष्टि का आभास
बड़ों के तजुर्वे का हुआ एहसास
मन में शान्ति का अनुभव हुआ
|
आशा सक्सेना
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 06 अप्रैल 2023 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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हटाएंआभार रवीन्द्र जी मेरी रचना को पांच लिंकों का आनंद में स्थान देने के लिए |
हटाएंअपना कोई नहीं जिसको अपना कहना चाहा
जवाब देंहटाएंवह गैरों से भी अलग लगा
दिखावा ही दिखावा देखा उसके व्यवहार में |
बहुत सटीक ...सुंदर।
सुधा जी धन्यवाद टिप्पणी के लिए |
हटाएंसंबंधों के चयन में हमेशा फूँक फूँक कर ही कदम रखना चाहिए ! सार्थक सृजन !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
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