एक बगीचे में भ्रमर और तितलिया
साथ साथ रहते थे
दौनों की थी मित्रता घनिष्ट
वहा के पुष्पों से |
पर भ्रमर का मन चंचल
फूलों पर केवल अपना ही
अधिकार समझता
तभी जब नज़दीक उसके पुष्पों खिलते
वह फूल पर बैठ प्यार
जताता |
मन भरते ही
एक पुष्प से दूसरे पर उड़ जाता
संतुष्ट उसका मन होता
यही उसका गुंजन दिखाता |
पर तितलियाँ कुछ
अलग सा व्यवहार करतीं
पुष्प गंघ का आनंद लेतीं
फिर दूसरे पर उड़ जातीं |
तितली रंगीन पुष्प भी रंगीन
बाग़ में जब उड़तीं
बच्चों को बहुत आकर्षित
करतीं
बच्चे घर जाना ही नहीं
चाहते |
आशा सक्सेना
तितली और भ्रमर का सारगर्भित तुलनात्मक अध्ययन ! सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए
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