बढ़ता अन्तर द्वन्द
टूटते बिखरते सपने
होते नहीं
किसी के अपने |
अपने भी लगते बेगाने
चाहे कोई
माने ना माने |
कशिश ओर तपिश उसकी
कर देती बेचैन
उसकी ही तलाश में
हुआ प्यासे चातक सा हाल |
मनोदशा ऐसी हुई
पंख कटे पक्षी जैसी
वह छटपटाहट और बदहाली
रात और हो जाती काली |
उस की स्याही में
डूबती उतराती
व्यथा और बढ़ती जाती
रात अधिक हो जाती काली |
सही राह नहीं दिखती
सलाह उचित नहीं लगती
सभी लगते दुश्मन से
जो भी उसका विरोध करते |
होना है जीवन का
अहम फैसला
जिस पर निर्भर
जीवन उसका |
पर है उम्र
ही कुछ ऐसी
जब बहकते कदम
नाम नहीं लेते ठहरने का |
टूटते बिखरते सपने
होते नहीं
किसी के अपने |
अपने भी लगते बेगाने
चाहे कोई
माने ना माने |
कशिश ओर तपिश उसकी
कर देती बेचैन
उसकी ही तलाश में
हुआ प्यासे चातक सा हाल |
मनोदशा ऐसी हुई
पंख कटे पक्षी जैसी
वह छटपटाहट और बदहाली
रात और हो जाती काली |
उस की स्याही में
डूबती उतराती
व्यथा और बढ़ती जाती
रात अधिक हो जाती काली |
सही राह नहीं दिखती
सलाह उचित नहीं लगती
सभी लगते दुश्मन से
जो भी उसका विरोध करते |
होना है जीवन का
अहम फैसला
जिस पर निर्भर
जीवन उसका |
पर है उम्र
ही कुछ ऐसी
जब बहकते कदम
नाम नहीं लेते ठहरने का |
असमंजस के दोराहे पे खड़े व्यक्ति की मनोदशा का सटीक वर्णन किया है ! बहुत सुन्दर रचना ! बधाई !
जवाब देंहटाएंvo umr thahrav kanha chahtee hai...
जवाब देंहटाएंsateek varnan.
aabhar.
aadarniya aashaji,
जवाब देंहटाएंnamaskaar,
har baar ki tarah is baar bhi sundar varnan
मनोविज्ञान से परिपूर्ण सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंहोली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं।
धर्म की क्रान्तिकारी व्या ख्याa।
समाज के विकास के लिए स्त्रियों में जागरूकता जरूरी।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंManodasha ka varnan bahut hi achha kiya hai aapne Assha ji..
जवाब देंहटाएंShashakt lekhni ke liye badhayee.
उस की स्याही में
जवाब देंहटाएंडूबती उतराती
व्यथा और बढ़ती जाती
रात अधिक हो जाती काली
bahut gahan bhavon ko shabdon ke madhyam se prakat kiya hai .badhai .
ये निराशा और असमंजस की स्थिति सबको इसी तरह की मनःस्थिति में ला देती है।
जवाब देंहटाएंजब निराशा के काले बादल छाते है तो ऐसा ही होता है
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना
अपनीं दुनिया में मदमस्त रहनें वाली युवा पीड़ी सपनें देखती है और उसे साकार करनें की में लग जाती है |युवावर्ग के मानस का सही आकलन
जवाब देंहटाएंकरती रचनाँ|
पर है उम्र
जवाब देंहटाएंही कुछ ऐसी
जब बहकते कदम
नाम नहीं लेते ठहरने का...
yahi sach hai ..
.
आदरणीय आशा माँ
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
युवावर्ग के मानस का सही आकलन
.....बधाई एवं शुभकामनायें !