08 मार्च, 2016

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस


अतुलनीय गुणों की धनी
 हर दिन उसका   है
सब कुछ अधूरा जिसके बिना
फिर औपचारिकता क्यूं ?
हो एक दिवस उसके नाम
हुआ आवश्यक क्यूं ?
हर प्;ल रहती इर्दगिर्द
चाहे जो भी रूप धरे
माँ बहन बेटी होती
पत्नीकभी तो कभी प्रेयसी
सभी रूप होते आवश्यक
सृष्टी सुचारू तभी चलती
हर रूप में  हुई सफल
कोई क्षेत्र न बच पाया
उसके  शामिल हुए बिना 

 तब भी यदि पहचान नहीं
अपना वरच्स्व अस्मिता नहीं
फिर क्या लाभ ऐसे
अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाने का
उदधाटन  चाटन भाषण में
समय की बरवादी का
कोई आवश्यकता नहीं
एक दिन में उसे
उच्च  आसन पर बैठाने का
उसने जो भी किया
अपने गुणों से अर्जित किया
फिर बैसाखी आवश्यक क्यूं ?
आशा



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Your reply here: