01 नवंबर, 2021
रिश्ते कैसे कैसे
किसी ने बेटी माना दिल से
स्नेह का दान दिया
मैंने कुछ न चाहा
ना ही जानना चाहा क्या उपहार मिला |
मैंने प्यार किया दिल से
बिना किसी आडम्बर के
यही क्या कम है
उसे कोई न नाम दिया |
जिन्दगी में कुछ रिश्ते होते ऐसे
जो जन्म से नहीं होते
पर जब बन जाते हैं
कभी नष्ट नहीं होते |
अहमियत होती बहुत
इन रिश्तों की
जो निभाता उन्हें
वही इनकी कद्र जानता |
ये सतही नहीं होते
पनपते ही जीवन के
साथ जुड़ जाते
और अंत तक बने रहते |
इनकी मिठास को
मापा नहीं जा सकता
किसी प्रलोभन से इन्हें
बांटा नहीं जा सकता |
प्यार दुलार ममता
इसे क्यों नाम दें
हमारे मन को
जब चाहे उपहार दें |
आशा
सुन्दर
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sir
जवाब देंहटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (05 -11-2021 ) को 'अपने उत्पादन से अपना, दामन खुशियों से भर लें' (चर्चा अंक 4238) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
आभार रवीन्द्र जी मेरी रचना को आज के अंक में स्थान देने के लिए
जवाब देंहटाएंआभार रवीन्द्र जी मेरी रचना को आज के अंक में स्थान देने के लिए |शुभ दीपावली आपको |
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रिश्ते दिल से दिल के होते हैं ! चाहे जन्म से बने हों या आभासी हों रिश्ते वो ही निभते हैं जो दिल से जुड़े होते हैं !
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