05 नवंबर, 2021

गेंदे के फूल की खेती


 

तुम गेंदे के फूल

मैं पंखुड़ी तुम्हारी

 सुनहरा रंग पीला

मन में बसा रहता |

 त्यौहार तुम बिन

रहता है अधूरा

जब भी तुम्हारी 

 आती बहार फूलों की  |

खेतों और बागीचों में

जिधर निगाहें जातीं

तुम्हारे बिना

उन्हें अधूरा पातीं |

मेरी प्रसन्नता का

ठिकाना न रहता

बागों में बहार

 देख पुष्पों की |

क्यारी जब सूनी होती

मन को बहुत दुःख पहुंचाती 

रंग तुम्हारा मन को भाता 

और  मन को बहलाता |

आशा 


8 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(०६-११-२०२१) को
    'शुभ दीपावली'(चर्चा अंक -४२३९)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. सुप्रभात
      आभार अनीता जी मेरी रचना को शुभ दीपावली अंक में शामिल करने के लिए|

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  2. उत्तर
    1. सुप्रभात
      नितीश जी धन्यवाद टिप्पणी के लिए |

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  3. सच है ! हर पूजा में गेंदे के फूलों का विशेष महत्त्व होता है ! पवित्रता का अहसास होता है !

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    उत्तर
    1. सुप्रभात
      धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

      हटाएं

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