तुम गेंदे के फूल
मैं पंखुड़ी तुम्हारी
मन में बसा रहता |
त्यौहार तुम बिन
रहता है अधूरा
जब भी तुम्हारी
आती बहार फूलों की |
खेतों और बागीचों में
जिधर निगाहें जातीं
तुम्हारे बिना
उन्हें अधूरा पातीं |
मेरी प्रसन्नता का
ठिकाना न रहता
बागों में बहार
देख पुष्पों की |
क्यारी जब सूनी होती
मन को बहुत दुःख पहुंचाती
रंग तुम्हारा मन को भाता
और मन को बहलाता |
आशा
सुन्दर
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sir
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(०६-११-२०२१) को
'शुभ दीपावली'(चर्चा अंक -४२३९) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
सुप्रभात
हटाएंआभार अनीता जी मेरी रचना को शुभ दीपावली अंक में शामिल करने के लिए|
सुंदर कविता।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंनितीश जी धन्यवाद टिप्पणी के लिए |
सच है ! हर पूजा में गेंदे के फूलों का विशेष महत्त्व होता है ! पवित्रता का अहसास होता है !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |