31 अक्टूबर, 2021

हूँ तुम्हारी अनुगामिनी



 

 

 

 

 

 

 

 

                                      तुम दीपक मैं बाती

                जब कि  हूँ तुम्हारी अनुगामिनी 

तुममें मुझमें है अंतर

तुम स्नेह की महिमा बिसरा बैठे |

मैं स्नेह के साथ भी बंधी हूँ 

यह तुमने न जाना 

स्नेह के बिना

खुद को अधूरा पाया मैंने |

उसने वह कार्य  किया

जिसकी सदा  रही  अपेक्षा मुझे

स्नेह  सेतु बंध का कार्य

 पूर्ण निष्ठा से करता |

उसके बिना खुद को अकेला पा

कुछ कर न पाती 

वायु का सहयोग भी रहा

 नितांत आवश्यक

हम दौनों के संगम में|

वह यदि कुपित होती

 कभी साथ न देती 

वायु का बेग जागृत 

 न होने देता हमें 

उजाला कैसे होता |

सब एक दूसरे से

 जब सहयोग करते

तभी सफल हो पाते

फिर भी तम

तुम्हारे नीचे रह ही जाता |

 आशा 

 


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