30 अक्टूबर, 2021

नैना छलके


 

नैना छलके

अश्रु बहने लगे द्रुत गति से 

मन को लगी ठेस

उसके  वार  से|

कभी न  सोचा था

किसी से प्यार किया

तब क्या होगा |

जब भी स्वीकृति चाही 

मन की  चाहत गहराई 

इन्तजार में

 जवाब नहीं पाया| 

कारण जानना चाहा 

ना में जवाब पाया    

मन विब्हल हुआ

नैना  छलके

 अश्रु बह निकले

 द्रुत गति से| 

फिर से उफने हैं

बहती नदिया  की

 लहरों की तरह 

खोज रहा हूँ कारण|

उसके इनकार का

और अधिक बलवती

हुई  है चाहत

 प्यार के इजहार की |

आशा 


8 टिप्‍पणियां:

  1. धन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |

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  2. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (31-10-21) को "गीत-ग़ज़लों का तराना, गा रही दीपावली" (चर्चा अंक4233) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

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    उत्तर
    1. सुप्रभात
      आभार कामिनी जी मेरी रचना को स्थान देने की सूचना के लिए |

      हटाएं
  3. उत्तर
    1. सुप्रभात
      धन्यवाद सुजाता जी टिप्पणी के लिए |

      हटाएं
  4. सुप्रभात
    आलोक जी धन्यवाद टिप्पणी के लिए |

    जवाब देंहटाएं

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