29 अक्तूबर, 2021

अनुसूचित

 


अनुसूचित जान कर भी बचपन में 

 क्यों पहले  किया परहेज मुझ से  

मन को बड़ा संताप हुआ

 क्यों छला मुझे |

मैंने कोई अपेक्षा न  की थी

आगे हाथ न बढाया कभी

किस बात की सजा मुझे मिली 

 नादानी का क्यों लाभ उठाया तुमने?

क्या मैंने  अपनी मर्जी से

कोख चुनी थी माँ की  

या किसी पूर्व जन्म की

मुझे सजा मिली थी |

मैं सोच न पाई अब तक

मन हुआ अशांत जब जाना

अपना स्थान समाज में पहचाना

 निम्नतम स्तर था मेरा |

पर क्या यह था मेरे हाथ में

कहाँ जन्म हुआ पली बड़ी हुई

अब हुआ ज्ञान मुझे

तुम में मुझ में अंतर है क्या ?

किसी ने न बतलाया पहले

जाति धर्म में है क्या अंतर

मैंने  पहले सुना था

मनुष्य मनुष्य  सब एक से |

पर अब फर्क नजर आया

जब तुमने मेरे साथ  की दुभात

मेरे  मन को कष्ट पहुंचाया

ऊँच नीच का अंतर समझाया |

आशा

7 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(३०-१०-२०२१) को
    'मन: स्थिति'(चर्चा अंक-४२३२)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  2. सुप्रभात
    आभार अनीता जी मेरी रचना को आज के अंक मेंस्थान देने के लिए |

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  3. वाह ! सार्थक चिंतन ! बढ़िया रचना !

    जवाब देंहटाएं

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