१-भार उठाया महनतकश ने बड़े यत्न से
२-आशा न थी
उठाने की तुमसे
इतना भार
३- -ठेले पर भार
बहुत अधिक है
कैसे उठाएं
४- -मानी न हार
महनतकश हूँ
भागता नहीं
५-किसने कहा
ये हो नहीं सकता
मैंने किया है
आशा
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sir
जवाब देंहटाएंइसे कहते हैं सच्चा स्वाभिमान और आत्मविश्वास ! सार्थक सृजन !
जवाब देंहटाएंThanks for the comments
जवाब देंहटाएं