21 जून, 2021

वह जान जाती है



 जब आती है

वह जान जाती है

कैसे स्वप्न  साकार

करने होंगे

किताबी ज्ञान नहीं

स्वीकार उसे

 चाहती  यथार्थ में

जीने की राह

कितने शूल चुभे

उस मार्ग में

घायल पैर दुखे  

सहम जाती

नयन भरे भरे 

 हैं पहचान

उसके अंतस की  

सांत्वना दी है

 धीरज  दिलाने को

कोई नहीं है

है बहुत लगाव 

मुझे उससे

कोई दिखावा नहीं

आशा

3 टिप्‍पणियां:

Your reply here: