मौसम आज
है बहुत रंगीन
गाई कजरी
दादरे सावन के
बूंदे बरसें
मन में मिश्री घोलें
बूँदें टपकें
झर झर कर के
मन मोह लें
स्वर लहरी मधुर
गीत संगीत
मन को लुभाता है
लय प्रधान
मीठी मन मोहक
सब को लगे
सृष्टि की बारिश है
इतनी प्यारी
सावन की कजरी
ऐसी आवाज
पर ढोलक बजी
पैर न थके
घूमर कर कर
घुंगरू सजे
पैर उठने लगे
थिरक रहे
उस संगीत पर
रौनक हुई
हुआ नृत्य मयूर
बादल आए
उमढ घुमड़ के
रौनक बढ़ी
समा हुआ रंगीन
गीत गाने में
सब हुए मगन
ठुमक रहे
नृत्य संगीत पर
लहरा रही
सतरंगी चूनर
ओढी गोरी ने
मौसम सुहावना
कोई न रहा
उससे अनछुआ
सभी घूमते
सुरम्य वादियों में
भीगते जाते
तरबतर होते
ऋतु है बरसाती
मन मीत आने की |
आशा
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंआभार सहित धन्यवाद आलोक जी टिप्पणी के लिए |
वाह ! बारिश का बहुत सुन्दर शब्द चित्र ! बढ़िया रचना !
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sir
हटाएंThanks for the comment sir
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार रवीन्द्र जी |
सुंदर सृजन!
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अनीता जी टिप्पणी के लिए |
सुहावने मौसम का सुन्दर वर्णन, सुन्दर कजरी ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सृजन ।
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