दो पक्षी होकर दीवाने
चौंच से चौंच लड़ाते
क्या क्या बातें करते होंगे
वही जानते |
आपस में प्यार जताते
समझते समझाते
इशारों को हम खुद ही
जानने की कोशिश करते |
बड़े प्यारे लगते वे
और उनकी स्वर लहरी
जब पंख फैला कर
नीलाम्बर में उड़ते |
कभी घोंसले में बैठे
बच्चों से बतियाते होंगे
भविष्य की योजनाएं बना रहे होंगे
यही ख्याल आया मन में |
उनसे ली एक शिक्षा
जिन्दगी को बोझ न समझो
चाहे मौसम हो कैसा भी
चहकते रहो खुश हो |
आशा
जी, सुन्दर और प्रेरक पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sir
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
वाकई ये नन्हे पक्षी हमें जीवन के सत्य से अनजाने ही परिचित करा देते हैं ! इनसे बहुत शिक्षा मिल सकती है यदि हम लेना चाहें !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |