मन को छू न पाई
कैसे पढ लूं
हम न माने
हैं जाने पहचाने
लोग यहाँ के
पारद जैसे
हैं कभी यहाँ वहां
रहे गुडक
यह प्यार है
कुछ और नहीं है
कैसे समझा
मन भागता
कर्तव्यों से बचने
मालूम नहीं
आशा न थी
कि तुम आ जाओगे
परखने को
आशा
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सुन्दर हाइकु !
सुप्रभात धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
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सुन्दर हाइकु !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |