प्रभु से मिली नियामत है
भार नहीं यह जिन्दगी
है झूलना इसे जाने कब तक
आशा निराशा के झूले में
लिए मुस्कान चहरे पर |
कितनी भी कठिनाई हो
साहस नहीं खोना है
आँखों में अश्रु सूख गए
फिर भी रोना है |
जीवन का है सत्य यही
किसी से छिपा नहीं है
हर बार की तरह इसे भी
सपनों में सजाना है |
स्वप्न में और कल्पनाओं में
जीने का आनंद है कुछ और
जो सच में है ही नहीं
उसे साकार कराना है |
देखे कई उतार चढ़ाव
जीवन के समुन्दर में
खेले खाए हँसे हँसाए रोए गाए
सभी इसी जीवन में |
आशा
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sir
जवाब देंहटाएंजीवन के दर्शन की सुंदर अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंसच में --
जवाब देंहटाएंप्रभु से मिली नियामत है
भार नहीं यह जिन्दगी //
बहुत बढिया आशा जी | बस यही बात सब समझ लें तो जीवन से अवसाद , विषाद सब मिट जाएँ | बहुत- बहुत शुभकामनाएं आपको |
Thanks for the comment
जवाब देंहटाएंजीवन के शाश्वत सत्य उजागर करती सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद टिप्पणी के लिए साधना |