25 जुलाई, 2021

प्रभु से मिली नियामत है


प्रभु से मिली  नियामत है

 भार नहीं   यह जिन्दगी  

है  झूलना इसे  जाने कब तक

 आशा निराशा के झूले में 

 लिए  मुस्कान चहरे पर |

कितनी भी कठिनाई हो

साहस  नहीं  खोना है

आँखों में  अश्रु सूख गए

 फिर भी रोना है |

जीवन का है  सत्य यही

किसी से छिपा नहीं है

हर बार की तरह इसे भी  

सपनों में  सजाना है |

  स्वप्न में और कल्पनाओं में

जीने का आनंद  है  कुछ और

 जो सच में है ही  नहीं

 उसे साकार  कराना है |

देखे कई  उतार चढ़ाव

  जीवन के समुन्दर   में

खेले खाए  हँसे हँसाए  रोए गाए

सभी इसी जीवन  में  |

आशा 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 आशा

7 टिप्‍पणियां:

  1. जीवन के दर्शन की सुंदर अभिव्यक्ति!

    जवाब देंहटाएं
  2. सच में --
    प्रभु से मिली नियामत है
    भार नहीं यह जिन्दगी //
    बहुत बढिया आशा जी | बस यही बात सब समझ लें तो जीवन से अवसाद , विषाद सब मिट जाएँ | बहुत- बहुत शुभकामनाएं आपको |

    जवाब देंहटाएं
  3. जीवन के शाश्वत सत्य उजागर करती सुन्दर रचना !

    जवाब देंहटाएं
  4. सुप्रभात
    धन्यवाद टिप्पणी के लिए साधना |

    जवाब देंहटाएं

Your reply here: