Akanksha -asha.blog spot.com
06 मई, 2016
बदरा
१-
प्रसन्न दिखा
धरती का मुखड़ा
बदरा देख |
२-
छाए बदरा
दिल बाग़ बाग़ है
कोयल बोली |
३-
नन्हां डबरा
जल की ही आशा में
देखे बदरा |
४-
आसमान में
कजरारे बदरा
बोले पपीहा |
५-
नन्हें पौधे हैं
चाहत है बढ़ने की
बदरा आओ |
आशा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Your reply here:
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Your reply here: