12 मार्च, 2015

मैंने क्या पाया

नयनों से नयनों की बातें 
कनखियों की सौगातें 
जब भी याद आएं 
तुझे अधिक पास पाएं 
यही नजदीकियां 
यादों में बसी हुई हैं 
तुझसे मैंने क्या पाया 
कैसे तुझे बताऊँ 
प्यार तुझी से सीखा 
 यह तक बता न पाऊँ
भावों की प्रवणता 
तुझसे बाँट न पाऊँ 
मुझमें ही कहीं कमीं  है 
हर बात कह न पाऊँ 
प्यार की गहराई में 
इतनी डूब जाऊं
 शब्द नहीं  मिल पाते
मन में ही रह जाते
इशारे भी कम पड़ जाते
मनोभाव्  जताने को |
आशा
 


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