कनखियों की सौगातें
जब भी याद आएं
तुझे अधिक पास पाएं
यही नजदीकियां
यादों में बसी हुई हैं
तुझसे मैंने क्या पाया
कैसे तुझे बताऊँ
प्यार तुझी से सीखा
यह तक बता न पाऊँ
भावों की प्रवणता
तुझसे बाँट न पाऊँ
मुझमें ही कहीं कमीं है
हर बात कह न पाऊँ
प्यार की गहराई में
इतनी डूब जाऊं
शब्द नहीं मिल पाते
मन में ही रह जाते
मन में ही रह जाते
इशारे भी कम पड़ जाते
मनोभाव् जताने को |
आशा
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