21 जुलाई, 2023

मन की डावाडोल स्थिति

एक अनोखे सोच ने 

कपकपा दिया तन मन को ऊपर से नीचे तक

मुझे मजबूर करता  सोचने को

कि मेरा वजूद क्या है ?

ना कभी किसी ने मुझे टोका ना रोका

जो मन को अच्छा लगा किया

जैसे जीना था जिया

हर बात मैं अपनी चलाई मनमानी की |

जब  तक किसी का कहना ना  माना

आगे पीछे का ना सोचा

समाज से भी दूर किया खुद को

यही सही ना किया |

किसी का प्यार पा ना सका

किसी को दिल से  अपना ना सका

किसकी गलती रही होगी

यह भी जान ना पाया |

फिर सोच उभर कर आया मेरा कसूर क्या है

लोग अपना विचार तो नहीं करते

दूसरों पर सब गलतियां थोप

चैन की सांस लेते हैं |

आशा सक्सेना 

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