माँ के आँचल में पली बढी
आँगन में पनपी तुलसी सी
नन्हीं बाहें फैला कर
अस्तित्व बनाया अपना भी|
मधुरस से मीठे बोलों से
चहकी मधु बयनी मैना सी
हो गयी घर में रौनक
वह बढ़ने लगी वल्लरी सी |
छिपे गुण प्रस्फुटित हुए
वय बढ़ने के साथ
उत्साह भी कम नहीं
है ललक बहुत कुछ करने की |
सहनशील है, अनुशासित है
कर्तव्य बोध गहरा उसमें
कर्मठ है, जुझारू है
रहती व्यस्त कई कार्यों में |
इतने से जीवन काल में
कई भूमिका निभाती है
बेटी बहिन माँ बन कर
सब का मन हर लेती है |
प्रेयसी या अभिसारिका होती
बन जीवन संगिनी मन में बसती
कार्य कुशलता की धनी है
बाहर भी जंग जीत लेती |
वह अबला ऩही है
कर्त्तव्य अपने जानती है
विमुख नहीं अधिकारों से भी
उन्हें खोना नहीं चाहती |
इसी लिए दौड़ रही है
आज के व्यस्त जीवन में
बराबरी से चल रही है
स्पर्धा की दुनिया में |
आशा
आँगन में पनपी तुलसी सी
नन्हीं बाहें फैला कर
अस्तित्व बनाया अपना भी|
मधुरस से मीठे बोलों से
चहकी मधु बयनी मैना सी
हो गयी घर में रौनक
वह बढ़ने लगी वल्लरी सी |
छिपे गुण प्रस्फुटित हुए
वय बढ़ने के साथ
उत्साह भी कम नहीं
है ललक बहुत कुछ करने की |
सहनशील है, अनुशासित है
कर्तव्य बोध गहरा उसमें
कर्मठ है, जुझारू है
रहती व्यस्त कई कार्यों में |
इतने से जीवन काल में
कई भूमिका निभाती है
बेटी बहिन माँ बन कर
सब का मन हर लेती है |
प्रेयसी या अभिसारिका होती
बन जीवन संगिनी मन में बसती
कार्य कुशलता की धनी है
बाहर भी जंग जीत लेती |
वह अबला ऩही है
कर्त्तव्य अपने जानती है
विमुख नहीं अधिकारों से भी
उन्हें खोना नहीं चाहती |
इसी लिए दौड़ रही है
आज के व्यस्त जीवन में
बराबरी से चल रही है
स्पर्धा की दुनिया में |
आशा
वाह-नारी जीवन का वर्णन बहुत खूबसूरती से किया है -
जवाब देंहटाएंबधाई स्वीकारें .
nari jeevan par sundar kavita
जवाब देंहटाएंवह अवला ऩही है
जवाब देंहटाएंकर्त्तव्य अपने जानती है
विमुख नहीं अधिकारों से भी
उन्हें खोना नहीं चाहती |
इसी लिए दौड़ रही है
आज के व्यस्त जीवन में
बराबरी से चल रही है
स्पर्धा की दुनिया मैं |
--
नारियों में आत्मविश्वास प्रबल करती हुई!
बहुत सुन्दर रचना!
बहुत सुन्दर विचार युक्त कविता है |
जवाब देंहटाएंबधाई ।
नारी को बहुत सशक्त शब्दों के साथ सार्थकता से परिभाषित किया है आपने ! बहुत ही अच्छी लगी यह रचना ! बधाई एवं शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंनारी का हर रूप ओजस्वी होता है ,नारी जीवन की सरस विवेचना|
जवाब देंहटाएंवह अबला ऩही है
जवाब देंहटाएंकर्त्तव्य अपने जानती है
विमुख नहीं अधिकारों से भी
उन्हें खोना नहीं चाहती |
इसी लिए दौड़ रही है
आज के व्यस्त जीवन में
बराबरी से चल रही है
स्पर्धा की दुनिया मैं |
नारी जीवन की बहुत सुन्दर और प्रेरक विवेचना. बहुत सुन्दर और सशक्त रचना..
नारी जीवन की बहुत सुन्दर और प्रेरक विवेचना
जवाब देंहटाएंसहनशील है, अनुशासित है
जवाब देंहटाएंकर्तव्य बोध गहरा उसमें
कर्मठ है, जुझारू है
रहती व्यस्त कई कार्यों में
सुन्दर और सशक्त रचना..
bahut pyari aur shashakt rachna........!
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 08-03 - 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
नारी जीवन का वर्णन बहुत खूबसूरती से किया है धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंकमाल की रचना ...बेहद खूबसूरत ! शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंआधुनिक नारी के सम्मान में भींगी-भींगी सी कविता।
जवाब देंहटाएंनारी की सार्थकता को बहुत सुन्दरता से परिभाषित किया है।
जवाब देंहटाएंवह अबला ऩही है
जवाब देंहटाएंकर्त्तव्य अपने जानती है
विमुख नहीं अधिकारों से भी
उन्हें खोना नहीं चाहती ...
आज की सजग नारी का चित्र खींच दिया है आपने ... सच है की आज नारी अपने अप में विश्वास है ..
नारी जीवन का वर्णन बहुत खूबसूरती से किया है.
जवाब देंहटाएंमहिला दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.
waah bahut sunder prastuti...mahila diwas ke liye.
जवाब देंहटाएंवह अवला ऩही है
जवाब देंहटाएंकर्त्तव्य अपने जानती है
विमुख नहीं अधिकारों से भी
आज की नारी सच मे अबला नही है। बहुत सुन्दर । शुभकामनायें।
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आप सब का बहुत बहुत आभार |
जवाब देंहटाएंआशा
आदरणीय आशा माँ
जवाब देंहटाएंनमस्कार
नारी जीवन की बहुत सुन्दर और प्रेरक विवेचना.