28 अप्रैल, 2011

वह तो एक खिलौना थी



उसने एक गुनाह किया
जो तुम से प्यार किया
उसकी वफा का नतीजा
यही होगा सब को पता था |
जाने वह ही कैसे अनजान रह गयी
तुम्हें जान नहीं पाई
यदि जान भी लेती तो क्या होता
प्यार के पैर तो होते नहीं
जो वह बापिस आ जाता |
उसके तो पंख थे
वह दूर तक उड़ता गया
लाख चाहा रोकना पर
इतना आगे निकल गया था
लौट नहीं पाया |
उसका रंग भी ऐसा चढ़ा
उतर नहीं पाया
बदले में उसने क्या पाया
बस दलदल ही नजर आया |
बदनामी से बच ना सकी
उसकी भरपाई भी सम्भव ना थी
अब तो नफरत भरी निगाहें ही
उसका पीछा करती रहती हैं |
पर तुम्हें क्या फर्क पड़ता है
तुम तो वफा का
अर्थ ही नहीं जानते
होता है प्यार क्या कैसे समझोगे |
वह तो एक खिलौना थी
चाहे जब उससे खेला
मन भरते ही फेंक दिया
जानते हो क्या खोया उसने
आत्म सम्मान जो कभी
सब से प्यारा था उसे |

आशा




15 टिप्‍पणियां:

  1. वह दूर तक उड़ता गया
    लाख चाहा रोकना पर
    इतना आगे निकल गया था
    लौट नहीं पाया |
    उसका रंग भी ऐसा चढ़ा
    उतर नहीं पाया

    यही तो सच है ....प्यार का रंग

    बहुत सुन्दर रचना

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  2. तुम्हें जान नहीं पाई
    यदि जान भी लेती तो क्या होता
    प्यार के पैर तो होते नहीं
    जो वह बापिस आ जाता |

    ....यही तो प्यार की मज़बूरी है. बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति..आभार

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  3. तुम तो वफा का
    अर्थ ही नहीं जानते
    होता है प्यार क्या कैसे समझोगे |
    bahut spasht khyaal

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  4. निर्मम और स्वार्थी पुरुषों की कठोरता और हृदयहीनता को खूबी से पिरोया है शब्दों में ! भोली अल्हड लड़कियां अक्सर इनके झाँसों में आकर अक्सर अपना सर्वनाश कर बैठती हैं और फिर जीवन भर पछताने के अलावा उनके पास कुछ नहीं बचता ! जागरूक करती एक सार्थक रचना ! बहुत सुन्दर !

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  5. सुंदर बातें।
    आत्म सम्मान सबसे बड़ी चीज़ है।

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  6. सुन्दर लेखन, गहरे भाव. बधाई ............. !

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  7. जिनकी नजर गलत हो उन्हें पवित्र प्यार भी खेल लगता है |

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  8. सही है जान भी लेती तो क्या होता रंग जो दूसरा चढा था। दलदल और बदनामी यही रहजाते है। बहुत शिक्षाप्रद कविता । इसे समझें और अपने आप को खिलोना होने से बचालें

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  9. निर्मम सम्बंधों को बहुत ही सुंदर शब्दों में उकेरा है आपने! बधाई स्वीकार करें
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  10. आपकी अभिव्यक्ति मन को आंदोलित कर गयी। बहुत ही सुंदर रचना।

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  11. तुम तो वफा का
    अर्थ ही नहीं जानते
    होता है प्यार क्या कैसे समझोगे |
    बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति!!
    मेरी ओर से आपको हार्दिक शुभ कामनाएं

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  12. मुझे लिखने के लिए प्रोत्साहित करने का लिए आभार आप सब का
    आशा |

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