(१)
कितने अच्छे लगते हो तुम
जब अध् खुली आँखों से देखते हो
अधरों पर मीठी मुस्कान लिए
मन के भाव सहेजते हो |
(२)
यह भावों का दर्शाना
कुछ कहना कुछ छिपा जाना
अनोखी अदा लगती है
गालों पर डिम्पल का आना |
(३)
यही अदा आकर्षित करती
जीवन में रंग सुनहरे भरती
जब भी बंद आँखें होतीं
तुम्हारी छबी सामने होती |
आशा
कितने अच्छे लगते हो तुम
जब अध् खुली आँखों से देखते हो
अधरों पर मीठी मुस्कान लिए
मन के भाव सहेजते हो |
(२)
यह भावों का दर्शाना
कुछ कहना कुछ छिपा जाना
अनोखी अदा लगती है
गालों पर डिम्पल का आना |
(३)
यही अदा आकर्षित करती
जीवन में रंग सुनहरे भरती
जब भी बंद आँखें होतीं
तुम्हारी छबी सामने होती |
आशा
जब मन में प्यार हो तो प्रिय की सभी अदाएं मन को हर्षाती हैं |
जवाब देंहटाएंअन्यथा विपरीत भाव हो जाते हैं |
आदरणीया आप की रचना वाकई अद्भुत है| परंतु ये सब से पहली समस्या पूर्ति से संबंधित है - जो कि पूर्णता को प्राप्त हो चुकी है| फिलहाल चौथी समस्या पूर्ति की शुरुआत होने को है|
जवाब देंहटाएंhttp://samasyapoorti.blogspot.com/
बढ़िया प्रयास ! लेकिन जो हो चुकी हो उसे करने से क्या फ़ायदा ! नवीनतम करिये ! तीनों क्षणिकायें बहुत अच्छी लगीं !
जवाब देंहटाएंतीनों मुक्तक बहुत अच्छे
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