प्रातःकाल अखवार की सुर्खियाँ
प्रथम पृष्ठ पर कई समाचार
ऊपर से नीचे तक
समूचा हिला जाते हैं |
यह साल भी अनोखा निकला
मंहगाई अनियंत्रित हुई
सारी सीमां पार कर गयी
हर पखवाड़े के बाद और बढ़ती गयी |
यह तो पहली बार देखा
कैसे करें इसे अनदेखा
पेट्रोल महंगा होता गया
एक ही वर्ष में ९ बार कीमत बड़ी |
फिर भी खपत कम ना हुई
बढ़ती ही गयी
साथ ही वाहनों की
संख्या भी बढ़ी |
ना जाने कैसे लोग
अपने शौक पूरे करते हैं
काला धन बाहर आता है
या ऋण में डूबे रहते हैं |
अर्थ शास्त्र के नियम भी
अब पुराने लगते हैं
है कितना निर्भर व्यक्ति
भौतिक सुविधाओं पर |
उनके बिना जीना
किसी को अच्छा नहीं लगता
गरीब हो या अमीर
उनका गुलाम होता जाता |
अब सभी सुविधाओं का
आवश्यक सूची में जुडना
लगभग निश्चित सा हो गया है
आवश्यकता ,सुविधा और विलासिता में अंतर
नगण्य सा हो गया है |
आशा
Aasha ji sahi kaha aapne keematen chahe kitni badhen inssan bhotik suidhaaon ka gulaam hota hi ja raha hai.aapka lekh saraahniye hai.saadhuvaad.
जवाब देंहटाएंकैसे करें इसे अनदेखा
जवाब देंहटाएंपेट्रोल महंगा होता गया
एक ही वर्ष में ९ बार कीमत बड़ी |
nahi kiya andekha to bimar hone ka khatra hai
बिलकुल सच कह रही हैं आप ! महँगाई का कितना भी रोना रोया जाये कितना लोग कराहें खर्चों में कोई कमी नहीं आती ! इसे ही आदतों का गुलाम होना कहते हैं ! बहुत यथार्थवादी रचना ! बधाई !
जवाब देंहटाएंसच है .मँहगाई कितनी भी बढ़ रही है पर खर्च में कहाँ कटौती हो रही है ? समसामयिक रचना
जवाब देंहटाएंआदरणीय आशा माँ
जवाब देंहटाएंनमस्कार
सच है
सन्देश देती बहुत सुन्दर प्रस्तुति|
खूबसूरत जज्बात प्रकट करती रचना बधाई
जवाब देंहटाएंMAM YE NO DO KA KAM KARNE WALE LOGO PAR MAHANGAI KA PARBHAV NAHI PADTA, PARESHAN HOTE HAIN TO AAM LOG. OR YAHI EK BAAT UN LOGO KO BHI GALAT MARG DIKHA DETI HAI...
जवाब देंहटाएंJAI HIND JAI BHARAT
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 24 - 05 - 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
साप्ताहिक काव्य मंच --- चर्चामंच
बहुत यथार्थवादी रचना| बधाई|
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा है आपने इस अभिव्यक्ति में ...बेहतरीन ।
जवाब देंहटाएंजी हाँ अर्थशास्त्र के नियम पेट्रोल के मामले में तो चूक ही जाते हैं
जवाब देंहटाएंमित्रों चर्चा मंच के, देखो पन्ने खोल |
जवाब देंहटाएंआओ धक्का मार के, महंगा है पेट्रोल ||
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बुधवारीय चर्चा मंच ।