ये घुंघरू बंधन पैरों के
ना पहले बजे ना आज
डाले गए पायलों में
फिर भी बेआवाज
हें ना जाने क्यूँ मौन ?
शायद इसलिए कि
पहनने वाली भी रहती मौन
भाग्य सराहा जाता उसका
होती चर्चा रूप की
सजे पैर पायलों से
यूँ तो आकर्षित करते
घुँघरू तब भी रहते मौन
कोई नहीं जानता
मुराद उसके मन की
रहती सदा अपूर्ण
निराशा ने डेरा डाला
उदासी से पड़ा पाला
है परकटे पक्षी सी
कैद चार दीवारी में
उड़ नहीं सकती
है परतंत्र इतनी
मन की कह नहीं सकती
सोच नहीं पाती
घर के बाहर भी
है एक और जहाँ
ग़मों के अलावा भी
हैं खुशियाँ वहाँ
प्रारब्ध का यह खेल कैसा
या फल अनजाने कर्मों का
सब को सहन करना
आदत सी हो गयी है
ओढ़े आवरण दिखावे का
दिन तो कट ही जाते हैं
है यह कैसा बंधन
लोग ऐसे भी जी लेते हैं |
asha
बंधन काटे ना कटे, कट जाए दिन-रैन ।
जवाब देंहटाएंविकट निराशा से भरे, आशा दीदी बैन ।
आशा दीदी बैन, चैन मन को ना आये ।
न्योछावर सर्वस्व, बड़ी बगिया महकाए ।
फूलों को अवलोक, लोक में खुशबू तेरी ।
नारी मत कर शोक, मान ले मैया मेरी ।।
है परतंत्र इतनी
जवाब देंहटाएंमन की कह नहीं सकती
सोच नहीं पाती...................
बहुत गहन अभिव्यक्ति आशा जी...
सादर.
टिप्पणी के लिए धन्यवाद
हटाएंहै परकटे पक्षी सी
जवाब देंहटाएंकैद चार दीवारी में
उड़ नहीं सकती
है परतंत्र इतनी
मन की कह नहीं सकती ,,,
बहुत सुंदर सार्थक गहन अभिव्यक्ति // बेहतरीन रचना //
MY RECENT POST ....काव्यान्जलि ....:ऐसे रात गुजारी हमने.....
टिप्पणी लिखने को प्रेरित करती है |
हटाएंप्रारब्ध का यह खेल कैसा
जवाब देंहटाएंया फल अनजाने कर्मों का
यही बात तो समझ नहीं आती...
सुन्दर अभिव्यक्ति
रश्मी जी ,पहली बार आपको इस ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद |टिप्पणी लेखन को बल देती है |इसी प्रकार अपना स्नेह बनाए रखें |
हटाएंआशा
नारी मन की पीड़ा, व्याकुलता दर्शाती रचना... गहन भाव... सादर
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद संध्या जी
हटाएंगंभीर लेखन ....बहुत बढिया
जवाब देंहटाएंआपका कमेन्ट अच्छा लगा |ऐसा ही स्नेह बनाए रखें |
हटाएंsarthak prastuti.
जवाब देंहटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद
हटाएंगहन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंधन्यवाद संगीता जी |
हटाएंआशा
गहन और सार्थक अभिव्यक्ति!!
जवाब देंहटाएंटिप्पणी के लए धन्यवाद
हटाएं.बढ़िया प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद टिप्पणी हेतु |
हटाएंआशा
गहरे भावो की अभिवयक्ति......
जवाब देंहटाएंनारी जीवन की विसंगतियों का सटीक एवं सार्थक चित्रण किया है ! सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद
हटाएंगहन ...बहुत सुंदर रचना ...!!
जवाब देंहटाएंक्या सच में |
हटाएंआशा